________________
344
APPENDIX II.
Beginning.-श्रीगणेशायनमः दाहा रेफ अकार मकार ये ब्रह्म प्रकृत जियजान ताते वाह्य न है किचित जानत ज्ञान निधान १ रामनाम कलि कल्पतरु रामनाम मुषसार रामनाम करुणा भवन रामनाम अघजार २ गमनाम पावण पतित रामनाम मुदमूल रामनाम तापहर रामनाम हर शून ३ राम नाम अज शंभु हरि रामनाम श्रुतिसार रामनाम जीवात्मा रामनाम वांकार ४ रामनाम अघतूल अनल रामनाम अषिल विंव गमनाम चर अचर मैं रामनाम लौ सीव ५ रामनाम भी सेतुवर रामनाम भी धार गमनाम संमृति शमन राम नाम करतार ६ रामनाम परमात्मा रामनाम पर नास्ति गमनाम सियगम तन रामनाम भा भास्ति ७ रामनाम मंत्रात्मा रामनाम वरणेश गमनाम व्यापक विभेद रामनाम वग्भेश ८ रामनाम पावण परम गमनाम पर रूप रामनाम सुरभी त्रिदश रामनाम श्रुति भूप २ गमनाम हित जीव को रामनाम ते मोष रामनाम ते ता उतर रामनाम ते ताष १०
End.-सारठा हे रघुनाथ उदार करुणाकर प्रारतिहरण हर उर सुभग अंगार वसहु अनुज सह जानकी मै मगंण श्रुतिसार दहु भक्ति अविरल अचल हों झष जीवण नार बिन देपे ध्रुव मरण मम मर मुष जीवण अधार हे दशरथ नृप लाडिले ३० इति श्री सारासार वस्तु विचार नाम पगत्पर तत्वसार दर्शनोनाम अष्टादशमो तरंगः १८ सर्व मुष शरण विरचितं समाप्तायं ग्रंथः मार्ग कृषण प्रतिपदायां सौम्यवासरे संवत १००३ श्री हरिहर
Subject. पृ. २ रामनाम सर्व कारण व्यापक विभु दर्शन तरंग १ पृ. ४ गमनाम सर्व कारण ब्रह्म दर्शन तरंग २ पृ. ६ सर्व साधन साध्य अखिलदेव तत्त्वसार वर्णन तरंग ३ पृ. ७ अमित मदन लावण्यनिधि प्रति अङ्ग दर्शन तरंग ४ पृ. ९ दीनार्ते अवलम्ब शरणपाल अनन्यता वर्णन तरंग ५ पृ. ११ रामनाम महान भाव वर्णन तरंग ६ पृ. १३ विगग लक्षण सार गुण ग्रहण तरंग ७ पृ. १५ सारासार वस्तु ग्रहण त्याग वर्णन तरंग ८ पृ. १६ सत्संग तथा सर्वसार रामनाम वर्णन तरंग ९ पृ. १८ स्वामी दर्शनोत्कण्ठाकुलता विनयादि वर्णन तरंग १० पृ. २० सारासार वस्तु अवलोकन ग्रहण तथा त्याग वर्णन तरंग ११