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APPENDIX II.
चरणारविन्द नषसिष छबि ध्यान धरो राम मंत्र तंत्र मंत्र इहै अगूढ रे शंकर जन प्रथम अघ लंपट हरिभजन बिना धृक जीवन तोर तोहि समन कोइ दृढ रे १ राम राम राम राम राम राम राम कहु रे मन दशरथसुत जनकसुता सकल सृष्टि मातु पिता तासु चरण शरण छाडि अनते जनि बहु रे मन कबहि कहु राघो रघुनंदन रघुनाथचन्द्र कबहो रणधीरे रघुवीरे जपि रहु रे मन राम नाम अर्थ धर्म काम मादापक है सब लायक सीतापति शरणागत गहु रे मन राम नाम कहत लत अधिक बुध होत ज्ञान शंकर जन सुमिरि सुमिरि कलिमन सब द रे मन २
End. - नरतन दुर्लभ वेद पुकारत देह मोक्ष के द्वार साधु संग में जाय भेदले का फिरत वार आग्येकशत राम भजन येह रामनाम के माल पहिरहु गावहु राम रिझावहु करिहै कृपा कृपात्न श्रुति स्मृति पुराण के सम्मत शास्त्र साधु मत येह पूजहि गावहि पाठ करहि केन करो नहिं सह कोटि विधिन संकर मिटि जाइहि रघुवर नाम उदार कही रहय घर वन में सुमिरे भला हाय दरवार कवनो हाल वेहाल प्याल में येकर नहि कछु वाघ सगरे भजे ता धन्ये वारे नहि ता भजले आाध भीरभार मे छूटी नाही चारि अंस में येक क्रम भाग जो आये पर कछु तबहु न छोडव टेक इति श्री हरि चरित्रे मानसे सकल कलि कलुष विध्वंशिनी संपादिनी नाम प्रथमसोपान राममाला शुभमस्तु सिद्धिरस्तु राम संवत १९१२ राम राम राम श्रीसीताराम श्रीसीताराम श्रीसीताराम श्रीसीताराम जी ।
Subject - राम नाम महिमा ।
No. 169 (a ). Padāvali by Sudha Mukhi. Substance. Country-made paper. Leaves-7. Size - 10 inches x 5 inches. Lines per page—15. Extent - 300 Ślokas. Appearance —Old. Character——Nägari. Place of Deposit - Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.—श्री सीतारामायनमः ॥ भूला कजरी तितारा ॥ प्यारो भूलन पधारो झुकि आये बदरा | सजि भूषन बसन अषियन कजरा ॥ मान कीजिये काहे पे सुष लीजिये अनी ॥ तू तै। परम सयानी मिथिलेश को लली ॥ देषा अवध ललन पिया आप ही परे ।। रोष बीत्या सुधामुषी जब पायन परे ॥ १ ॥ धीरे धीरे री झुलाओ मेरी प्यारी ललना ॥ सिय प्रति सुकुमारी के का मारी भलना ॥ यह रूप को निकाई बिन देषे कल ना ॥ सषी चाहत हैं नैना सब लागे पल ना ॥ श्रम शीकर सुहाये वेसरि मोती हलना ॥ कहे सुधामुषी गाये पया मन छलना ॥ २ ॥ देषि भाई दाऊ भाई फुलवारी में परे । सुत भूप के