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APPENDIX II.
उदाहरन दोहा । यहि मग तरु में रहत हैं प्रेतु कहत सब लोग ॥ द्वार हमारा वह पथिक है रहिवे के जोग ।। इति श्री अलंकार दीपक सम्भूनाथ मिश्र कृत सम्पूर्णम् ॥ दोहा॥ वेद व्याम नव भूवरष मेन वरस नग चंद शाके सरद सुवाहु ले सित मुनि शशि सुषकंद ॥१॥ अलंकार दीपक लिषेउ सुकवि संभु को कीन जोरावर कवि इन्द्र को जेठ वंधु मतिहीन नगर असाथर में वसै दुनिया पति जहं भूप नाग कोस सुरसरि तरनि सुता कोस दुइ रूप ॥ सं० १९०४॥ शाके १७६९
Subject-- शिवजी की स्तुति
सिद्धि विषयाहेतृत्प्रेक्षा उदाहरण उपमा का उदाहरण
प्रसिद्धि विषयाहेतूत्प्रेक्षा पूर्णपमा
भेदकातिसय उक्ति लुप्तोपमा
तुल्य योग्यता का धर्म लुप्तोपमा
शब्दावृत्पदा उपमान लुप्ता
प्रवृत्ति दीपक वाचक धर्म लुप्ता
प्रति वस्तूपमा वाचक उपमान लुप्ता
दृष्टांत धर्मापमान लुप्ता
निदर्शना वाचकापमेय लुप्ता
सदर्थं निदर्शना प्रतीप का भेद
असदर्थ निदर्शना न्यून अभेद रूप
उपमेय विशेष व्यतिरेक अधिक अभेद
समासाक्ति समत्तद्रूप रूपक
परिकरांकुर न्यून तद्रूप
प्रकृत श्लेष अधिक तद्रूप
अप्रकृत श्लेष परिणाम
अप्रस्तुति प्रशंसा अक्षक का
सामान्य निबंधना अप्रस्तुति प्रशंसा,, सन्देह का
निन्दास्तुति रूप व्याजस्तुति शुद्धापन्हुति
याज निन्दा हेतु अपन्हुति
पाक्षेप मात्यापन्हुति
विभावना छेकापन्हुति
विशेषोति कैतवापन्हुति.
संभव अनुक्कविषयावस्तु उत्प्रेक्षा ,, प्रसंगति