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________________ 810 APPENDIX II. - बलष गुरुदेव के चरणाविन्द वंदिते ॥ मकान संपाप दुःख दारिद्र कलह कलपना । रोग पीड़ा माल थाधि में पंड खंड ते तस्मै श्रा राम रक्ष्या करः। निराकार वानी अनभै तत्व लै निरभै मृकि जानो ॥ वांधियाँ मून देखिया अस्थूल गरजिया गगन धुनि ध्यान लगा रहै । तोनि त्रिगुण ते गहिना भया न्यारा॥ सील संतोष निया राम रक्ष्या दिया ओंकार जागा पंच तत्व पचीस प्रकृति पंच भूतात्मा। पांच वाई सम दिष्टि स्याम घर पाई ॥ पान अपान ध्यान समान उद्यान मिलि करि अनहद शब्द की षवर पाई॥ Bnd.- श्री रामरक्षा स्तोत्र मंत्रस्य डोंरा छ छ रक्षा करन ॥ श्रीराम निरंजन लिगकारायन ॥ राजा रामचन्द्र जो उबरते ॥ लकिग्न कुपर मुनने धरम न हरते । पाप न लिप्यते ॥ पाप न निप्यते ॥ सोनाजो सुते ॥ हनुगन जी सुनंते । वीज मंत्र त्रिकाल जाने प्रानी लागा रहते ते नर पारी गति ॥ गमरक्षा बज्र ग्रामन वज्र केवार वज्र गकै दसा द्वार ॥ जो करे वज्र को घात ॥ उलटि काल ताहो को खात ॥ इति श्री रामानंद जो कृत रामरक्षा स्तोत्र सम्पूर्ण ॥ श्रो संवत १९४४ मिती माघ ॥ कृष्ण ॥ १३ ॥ वुध ॥ वासर ॥ Subject.-परब्रम का मानसी ध्यान व मंत्र । No. 151. Yugala Kisora Sahasrana ma by Rama Nari - yana. Substancs-Country-mads papar. Leaves-13, Sizs6 x 68". Lines por page-15. Extent-335 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Plase of DepositThe Public Library, Bharatapur State. ___Beginning.-ॐ श्राश्रोश गणेश सरस्वती गुरु द्विज हरि तत्वद्भक्ति मद्भयो नमः॥ भगवद्प निखिल चराचर प्रपंचाय नमः ॥ श्री सूत उवाच ॥ विष्णु पद ॥ इक दिन श्री नारद पहि जाइ अज सुत सां गोतम मुनि वे ले हाथ जोर सिर नाइ ॥ १॥ ध्रुव ॥ स्वामिन बज गेोपो जन जिन हरि मन प्राणन प्राधार ॥ तिन हरि विरहातुर तनु धारो कहिये दोन प्रकार ॥ नारद कह्यो हमारे देषत दोपदि ने घनश्याम ॥ पूछे मधुर वचन से करि करि पुन पुन सविध प्रणाम ॥२॥ तुम विन तव वि.हहि पातुर जिन तुहि हि अापे मव काम || वृदाविपिन विहारी किहि विधि तुम त्यागी वजवाम |॥ ३॥ विष्णु सखी जीवन सु विहारो तुम दयाल वे दीना ॥ तुम विन छिन जिन कल्प गोपिन को त्याग क्या कोना ॥४॥ End.-नारद बचन। वृन्दावन गये गोप कुमारी॥ सदा रहो गोविंद समीप न विछुरे कवहु मुरारी ॥ ध्रु॥ जिमि बज वाला मागे विहरत धा मेहन के संमा ॥ तिहि विधि नाम सहस्र प्रभावहिं रह्यो सदा स्तरंगा ॥१॥ जिम
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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