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APPENDIX II.
Subject.--महाभारत को कथा - कर्ण वध से लेकर दुर्योधन ताल प्रवेश
तक को ।
No. 149(b). Hitāmrita Latikā by Rāma Lāla Kavi Substance-Country-made paper. Leaves 133. Size 8" x ba". Lines per page-16. Extent-2,000 Ślōkas Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-The Public Library, Bharatapur State.
Beginning.—श्रीगणेशायनमः ॥ अथ हितामृत लतिका लिख्यते । कृपय ॥ सतत एकरदन वदन मदन आभा सायरस ॥ वदन चंद मद कदन करत जन हित वन वरसत || पदन चलन हर सदन अदन हित मचलत रोई ॥ जदन गदन कुन रुदन होत यह वात न गोई । वह साई गवरी नंदन जग वंदन राम उर घर करहु हुइ चंदन सुशोतल फंद नम व त्रिविधि नाप कहु परिहरहु ॥ १ ॥ दोहा || गंगा फेण सु लेष इव राजत राशि जिह सोस ॥ सेा कृपान अनुकूल है। मापे शिव जगदीस ॥ २ ॥ पाटवपुर हरि सत्र नृपतिह कृा हिन उपदेस ॥ वाच परम विचित्र जह नीति अनेक नरस ॥ ३ ॥ तिहि के मत अनुसार मै नृप वजेस कै हेतु ॥ हित प्रमृत लतिका करु सुमिरि उमा वृषकेतु ॥
४ ॥
End. - चित्रवर्ण उवाच ॥ तुम करो दूरि मव शत्रु रोति ॥ अब कुशल तात वाढ़ी सुप्रति || यह भेद नः हि हमरी हि धाम ॥ हुये गये। क। तुम तात काम ॥ यह कहि कै कुंचन संधि कोन ||तिह की नृपनि निह कहि दीन || हरि वो राषि करि विमल नेह ॥ लये सेन संग निज गये। गेह ॥ यह संधि रोति का सव उपाय || दोना मैने तुम कु सुनाय || पूछैौ जु कछु मृद्दि प्रपर बात | मै कहिहा तुमरे हेतु तात ॥ ३९ ॥ छंद शंकर ॥ यदुवस में प्रवतं नृप वलवं सिंह प्रवीन ॥ तिह हेतु कविवर राम हित अमृत लता यह कीन ॥ निह मैं विचार समाप्त कीना शुभग चै| थो अंग ॥ तिह सुरत ही सब रोति जानै संधि संधि प्रसंग ॥ ४ ॥
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Subject. - हितोपदेश के प्राधार पर राजपुत्रों के लिये हितोपदेश । १ - ४९ मंगलाचरणादि से लेकर मित्रलाभ प्रसंग तक । ४९-९१ सुहृद भेद प्रसंग ।
पृष्ठ
९१-११८ विग्रह प्रसंग ।
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,, ११८-१३३ संधि प्रसंग ।
No.150 (a). Rāma Raksha Sajivana Mantra by Rāmānanda. Substance-Country-made paper. Leaves-8. Size -3" x 2". Lines per page-8. Extent — 61 Slokas.