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राति दिन हिय में राषै ॥ यह रहस्य जो धेरै मुक्त से है जगवन्दन ॥ सन्त सभा सेा अग्रनीय तेहि वश रघुनन्दन ॥
End.—चाधा ब्रह्मज्ञान जीव चराचर रमे राम देखै सर्व भूत सत्य नित्य निर्विकार हैं | कोड़ित लखि माया में पांचा गुन दया दीन कोमल सुहृद शील करुणा उदार हैं | मेरा प्रभु निर्मल अखंड ग्रापु लीला करें ताको सन्मान परमार्थ छटा स्यार हैं | जामैं जो प्रसन्न सेाई करै देश काल पाइ वाक्य मन कर्म धर्म तन धन तुम्हार है ॥ ५५४ ॥ साता भाव चराचर राम संसकार नेकु देखे सुनै ताकी तदाकार हरि भावहीं ॥ पाठी भक्ति आाठी याम सुधा पान रामनाम प्रेममय परमानन्द साई सम पावहीं ॥ राम रूप नोर मीन राम घन पपीहा दोन राम मुख चन्द्रमा चकोर चित लावहीं ॥ आठौ गुण लीन्हे ररम चरण राम भक्त हो ताकी गुण निगमागम नेति नेति गावहीं ॥ ५५५ ॥ इति श्री कवितावली रामायण सप्तकांड समाप्त श्री १०८ रामचरण दास जू कृत || श्री सतगुरु महाराज श्री १०८ श्री स्वामी रामवल्लभाशरण जू की प्राशानुसार हस्ताक्षर सिया रघुनाथ शरण श्रीसीतारामचन्द्रार्पणमस्तु ॥ संवत् १९७२ मितो फागुन शुदि ११ प्राज्ञा समन सुसाहिब सेवा ॥ जय सीताराम सीताराम सीताराम जय सीताराम ॥ जय सीताराम सीताराम सीताराम जय सीताराम || श्रीसीताराम ॥ श्रीसीताराम ॥ श्रीसीताराम ॥ राम ॥
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Subject. - रामायण अथवा रामचरित्र छन्दों में ।
पृष्ठ १ - ३३ – वन्दना, गुरुरहस्य, प्रवृत्ति आदि मार्ग, रामनाम महिमा, एकादश भक्ति, रामजन्मादि वर्णन ।
३३ – ३८ – विश्वामित्र का ग्राना और राम लक्ष्मण को अपने साथ ले जाना ।
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५० – ८१ - जनकपुर थाना राम लक्ष्मण का, पुष्प वाटिका में जाना, श्री सीता जी का देखना, धनुष यज्ञ में जाना, चार जनक जी की प्रतिज्ञा पूर्ण करना ।
८१-८७ – परशुराम आगमन और परशुराम का वनगमन ।
८७- ११३ - रामविवाहादि वर्णन ।
११३-१४० - अयोध्या को वरात का लौटना, राजधानी में जाकर आनन्दपूर्वक दिन बिताना, और श्रीसीता जी का होली में रंग खेलना पादि वर्णन ।
१४०-१५४ - रामचरित्र की शेष कथाओं का संक्षिप्त वर्णन, और अन्त में रामनाम महिमा वर्णन |