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APPENDIX 11.
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सरस्वति रूप है। सचिद आनंद देव ॥५॥ सोयपीय के चरणरत नव किशोर नव रूप । रहत अहनिशि निकट इति पावन करत तद्रप ॥ ६॥ स्वामि सीय को परम प्रिय करत वसो पिय चित्त । नयन हृदय पिय वसि रहे सीय पोय तव वित्त ॥ ७॥ साई मो पर कृपा करि दोन्हें श्री निज वित्त । आश्रित अपने जानि कै चरण जानकी नित्त ॥ ८॥ अंतर्भत स कृपा श्री कीन्हे अतिशय भूरि। सोय पोय के प्राप्त के दिही चिदात्मक मूरि ॥९॥ सच्चिद रूपिणि भावना रस परिपूरण सेाय ॥ चरण जानकी भाग्य सा अवर कछु नहिं जाय ॥ १० ॥
End.-जै सिय संवत अष्टदश सत्तरिनव अभिराम ॥ चरण जानको प्राप्त इति सीय पोय रम धाम ॥ अवधपुरी श्री रचित इति श्री सरयू के तीर ॥ चरण जानकी कुंज सिय हृदय सोय रघुवीर ॥ १० ॥ प्रमाण तुलसीकृते ॥ सीताराम ॥ सीताराम ॥ चौपाई ॥ एकै व्रत एकै दृढ़ नेमा ॥ काय वचन मन पति पद प्रेमा ॥ इति भावः ॥ पुनः श्रुति ॥ जा मतिः। सा गतिः ॥ श्री सीता राम || इति श्री अयोध्या मध्ये श्री सरयूतटे श्री जानकी कुजे विरचितेन श्री सोतारामोपासकेन श्री जानकी चरणेन सप्रेम प्रधान सप्तमः प्रक्रियायां भाव सनवंध रस का ग नाम सम्पूर्ण शुभमस्तु सिद्धिरस्तु ॥ संवत १८९० ॥ अगहन मासे शुक्ल पक्षे पंचम्यां विवाह उत्सवे शुभं भूयात् ॥ लिषिते गुरुदेवदास वैपणव सरयूतटे।
Subject.-प्रारंभ पृ० १० से। पृ० २७-३३-गुरु वन्दना, भाव वर्णन, वन्दना अष्ट सपि सहित श्री मीता,
रामचन्द्र, लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्नादि देवी देवताओं की तथा राग रागिनी, धनुष वाण, रत्न सिंहासन आदि की तथा ऋषि मुनि, तीर्थ, पुण्य भृमि, पुण्यताया नदो सद्ग्रन्थ
आदि की। पृ० ३३-४२-जानकी जन्मात्मव भाव वर्णन । वन्दना श्री सिया जी की,
हाव भाव भेद वर्णन तथा अष्ट सखियों सहित जानको
प्रादि का जन्म वर्णन । पृ०४२-६३-श्री सीताराम विवाह भाव वर्णन श्री रामचरित मानस
के आधार पर। ०६३-७४-राज्याभिषेक भाव वर्णन, श्री सीताराम की अंगछवि तथा
राज्याभिषेक वर्णन। पृ०७४-८०-भक्ति भाव वर्णन, श्री सीताराम का प्रेम वर्णन। पृ० ८०-८७-विहार कौतुक केलि भाव वर्णन, जलकेलि, भूलने और
विहारादि का वर्णन ।