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________________ 192 APPENDIX II. Rāmēswara Datta Śarmā, Assistant Teacher, High School, Rae-Bareli. ____Beginning.- श्री गणेशाय नमः ॥ अथ भगवद्गीता लिष्यते प्रारंभः । श्लोक ॥ पार्थाय प्रतिवाधितां........"देवाय तस्मै नमः (ध्यान) श्री सद्गुरुवे नमः॥ मंगलाचरन दाहा ॥ गुरु गुलाल पद कमल रज लहि पायो निर्वान । भीषा दास विवेक निधि नमा निरत विज्ञान ॥ १॥ पानि कमल चाटुक गहे तरलिन कुण्डन हार.। पारथ ग्थ ग्राभ(र)न हरि नमो सकल श्रतिसार ॥ २॥ धृतराष्ट्र उवाच ॥ श्लोक ॥ धर्मक्षेत्रे............."संजय ॥ १॥ दोहा ॥ धर्मखेत सुखेत कुरु जुरे जुध्य को वाह मेरे सुत और पाण्डु के कहा करत भे काह ॥ संजय उवाच ॥ दृष्ट्रातु..." ........."मववीत ॥ २॥ दाहा ॥ पांडु तनय के वल निरषि वन्यो व्यूह अति भाय ॥ दुर्योधन नृप कहत प्राचारज पंह जाय ॥ २ ॥ श्लोक ॥ पश्यैताम् ..... धीमता ॥ ३॥ दोहा ॥ यह देखो पांडव चमू प्राचारज अतिमान । रच्या व्यूह मुत द्रपद के जा तुव सिष्य सुजान ॥ ३॥ श्लोक ॥ अत्र शूरा". "महारथः॥४॥ महा धनुर्धर शूर वहु अर्जुन भीम समान ॥ द्र पद महारथ रणचतुर नृपति (नृप) विराट जुजुधान ॥ ४॥ श्लोक ॥ धृष्टकेतुश्च ..."पुंगवः ॥ ५॥ पुरुजित धृष्टकेतु नृप काशिराज वलवान। कुन्ति भोज नरपुंगवै शैव्य नृपति चकितान ॥५॥ __End.-श्लोक ॥ यत्र योगेश्वरः कृष्णा यत्र पार्थो धनुर्द्धरः ॥ तत्र श्री विजया भूति धंवानीति मैतिर्मम ॥ ७८ ॥ दाहा ॥ कृष्ण जहां योगाधिपति पाग्थ जहां धनुपानि । लक्ष्मी विजय विभूति नय तहां वसहि रति मानि ॥ ७८ ॥ इति श्री भगवद्गीतासूपनिषत्म ब्रह्म विद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुन संवाद माक्ष सन्यासयोगेा नाम अष्टादशाध्याय ॥ १८॥ दाहा ॥.....""श्रीराम जुत हरि भक्ति प्रसाद हरि आत्मज्ञान ही पाई । छुटै बंध जग सहज यह गोता अर्थ वनाई ॥ १॥ ज्ञान माक्ष वैराग्य शिशु पालनिहारि सयानि । जन श्रीहरि भक्ति जुग सेइए तजि मति पाति ॥ २॥ भीषा दास निदश लहि तासु कृपा बल पाई। श्रीधरकृत टीका विमन गहि मति सुदृढ़ सहाई ॥ श्रीराम ॥ परम भागवत भत वर अरिमर्दन विख्यात । प्रमोद हित तासु यह दादा वंधु सुजान । भगवद्गीता श्लोक के करन सदर्थप्रकास । ज्ञानमयि सतसई यह किन्ही जन हरि दास ॥ ५ ॥ एक एक वसु पक मित समगत विक्रम राज । हितकर यह श्रम होउ मम संतत संत समाज ॥ ६॥ इति श्री भगवद्गीता टोका ज्ञान सतसई सम्पूर्णमस्तु ॥ शुभमस्तु ॥ संवत १८९० ॥ Subjeot.-श्रीधर भाष्य के आधार पर श्री मद्भगवद्गीता का हिन्दी पद्यानुवाद दाहों में। ___No. 82. Tika Neha Prakasaa by Janaka Ladili Sarana.. Substance-Country-made paper. Leaves-42. Size 1
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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