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के मेद से शारीरिक और मानसिक दुःव अनक रोग या गेध है और बिछुड़ने श्रादि की जो तरह के है।
वेदना होती है वह मानसिक दुःश्य है। बुढ़ापा शारीरिक दस ( ममपेर दाखो)-शारी- आदि का दुस्व भी रोग, अतिश्रम आदि का रिक दुख छ:'तरह के हैं। १ आघात-२-प्रतिवि- दु.ख है। बुढ़ापे में निर्बलता पाजाने सं अतिनम पय ३-अविषय, ४-योग, ५-रोध, ६-अतिश्रम। शाम होने लगता है । इसप्रकार अन्यदरखों का __ .१ आघात [ चोटो ] अस्त्र-शस्त्र या हाथ भा
भी विश्लेषण (शेवाको) कर लेना चाहिये। आदि से अथवा किसी और सूक्ष्म स्थूल वस्तु से
मानसिक दु:य (मनपेर तु.यो ) मीर: शरीर को ऐसी चोट पहुँचाई जाय जिससे न तरहक है-१-इष्टाप्राप्ति, २-इष्टवियोग, ३-अनिलीफ हो उसे प्राघात दुःख कहते हैं ।
प्टयोग, १ लाघव, -व्यप्रता, ६-सहवेदन। २-प्रतिविषय ( रोजूशो ) इन्द्रियों के .
१-इष्टाप्राप्ति ( इशनोसीनो) जो चीज
हम चाहते हैं और जब वह नहीं मिलनी तर प्रतिकूल विषय से जो चोट पहुँचती है वह प्रति
एक तरह का मनमे दुःख होता है, इस प्रामामि विषय है। जैसे-दुर्गध, कर्कश शब्द, भयंकर यादव कहते हैं। ऐसी हालत में लोभ लालच बीभत्स दृश्य, बहुन ठंडा या बहुत गरम स्पर्श,
तुप्या या चार की प्रेरणा से मनम चिन्ता होती बुरा स्वाद आदि।
है जो काफी दाममय होती है। शोक निराशा ३-अविवय (नोजशो) शरीर के या आदि दुःखमय अवस्था भी होती है। प्रधानता इन्द्रियों के योग्य विषय न मिलने से जो वेदना चिन्ता की है। होती है वह अविषय दुःख है। जैसे भूख प्यासका २ प्रवियोग शमयुगो अब दुःख, किसी चीज के स्वाने का व्यसन हो और प्रिय वस्तु अपने पासम दूर हो जाती है, विदुरवह चीज न मिले तो उसका दु.ख प्रादि । आती है, या नट होजाती है तब उसस
४---रोग ( रुगो ) वात पित्त कफ की विप- जो दव होता है व उपवियोग दुग्म है। मना, आदि कारणांसे शरीर में जो विकृति होती प्रिय भरण. या उसका परदेशगमन आदि है उससे पैदा होनेवाला शारीरिक टुब गंग वियोग दुाय है। धनसम्पत्ति का नष्ट होजाना दु.ग्व है!
भी इमीप्रकार का दुख है । यह होमाना है कि yोध ( मन्धो शरीर के किसी अंग चीज सहा की तमा पजी रहे पियो के. गा किसी आवश्यक क्रिया के कान मे यश हजार 1 एक अमीन जिसे हम अपनी ममम्न उधजाने जो द.न्य होता है वह रो दुव्य है। धे पर दमर ने लेनी को जान tare जैसे बहुन समय तक एक ही जगह बैठना पड़े पर्व रहनेपा भी उमर में मार्ग मानिये या किमी कमर या मकान में इस तरह करताना नजाने में टरिगोग रोगगा : गगन पडे कि शरीर के लिये आवश्यक हिलना दाना उमा था जोर का लिवाला नि कठिन होजाय, तो उसमें होनेवाली नसली पिया मिलने से मागा गरप वहायगा।
विनोगटवियोग में सुगम प्रतिभम ( मेशिहा । Fir होता. पोलिना मार करने से जो कावा यानि ना नक्लीप सोनी
मान है वह प्रतिषम दान है।
प्रभाnिih. ___ मौन पादि सपना बोगिराज fre है। मौन में हो जातिय वंदना रानी है Timir
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