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imati f im मा गोर्म को मानते है उनके कार्य का समPRE
से किया जा सकेगा। या उन्हे धर्म के MAR " विषय में सगान से माना जा सकेगा। Partitamin
को शाभिमान का विषय बनाना 2 : -: viral insti rन विष बनाने के समान है इसलिये
"गुरा का वर्ग छोटा और हमाग धर्स घडा यह ma
| गिगान न बचना चाहिये। 16 mi )
सामरिक धर्म में कोई in ..
मी कान महल पानी है जो दूसरे धर्मों में म . iiiii माया में नही पाई जाती इसलिये किसी NET .
सपन का विचार न करना चाहिये। -
म ष्टि से यदि जनधर्म महान है तो F ol Tarfari -संवा को दृष्टि से ईसाई धर्म महान है, भात. ' MA: Metri firi नाव नोर ब्याज न खान (अपरिग्रह ) की दृष्टि ।
TER पशु FI से उसलाम प्रधान है। बौद्धधर्म में इसलाम और ।' AAR
A T TIR मा सानी नानी विशेषताएँ काफी मात्रामे हैं st Hifi का हिन्दी समन्वयात्मक भिन्नता असाधारण है। misartan श मालये सब दियाँ से किसी को बड़ा नहीं कहा नरमामन ना
स ज नता पौर का एक ईष्ट से तो प्राय: सभी ६ २ .
HI. । Fift ना उमरी मायामा तीसरी बात यह कि अभिमान की चीज । पर PART पर (मन पर भा बर्म नही है सावरण है। यधपि धर्माचरण का बाद मिल पाया पाना . । इस निपट भी अभियान न करना चाहिये फिर भी महत्ता माननिय अभियान प्रमगा पर पशुस्त्या यांचरण की है। कोई बड़े शहर में भिखारी / ratefir कार्यसायी दिशा "प्रोग मूर्य हो सकते है और छोटे शहर में लख
मा इसलिय सभी पति और चतुर हो सकते हैं महत्ता अपनी योग्यता 'मि सिा । नन्दा दनवान है।
से है शहर से नहीं। इसी प्रकार महत्ता धर्मामन लीक है कि सभी धर्म प्रतिमा चरण [ नैतिक जीवन ] से है धर्म संन्या की भी नमनट त है उनमें आ हिंसा विश्वान सरस्यता से नहीं। यह तो जन्म की बात है पाये जान ई हम उन धर्मो का कोई अपगध किसी भी धर्मसंस्था में जन्म हो गया। माननिय सभी धर्म ग्राहरणीय है। यह चौथी बात यह है कि धर्म सस्था की महत्ता तकतर पर सभी धर्म समान में पाल- सं धर्म सस्थापक की महत्ता का माप नहीं लगाया नी न मवत। जो धर्म कम विकसिन जा सकता। जैसे एक ही योग्यता के चार पाठक लोगों में पंदा ना है उसका दा कुछ न कुछ छोटी वढी चार कक्षाओं को ऊँचा नीचा पाय नम सीहालत में सभी धमा म विषय पढायेंगे पर उनकी कक्षा की तरतमना समापं होगा। 'गोर जो लोग छोटी उनके ज्ञान की तरतमता की सबक नहीं है।