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________________ ८२] सत्य संगीत ~~m rammar ~ ~ rammar कुवके फूल कन पर आज चढाये फूल । जबतक जीवन था तबतक क्षणभर न रहे अनुकूल |कन पर ॥१॥ कणकणको तरसाया क्षणक्षण मिला न अणुभर प्यार । अब आँखोंसे बरसाते हो, मुक्ताओं की धार ॥ देह जब आज बनी है धूल । कन पर आज चढाये फूल ॥२॥ आज धूल भी अजन सी है, नयनी का शृङ्गार । काला ही काला दिखता था, तब हीरे का हार ॥ कल्पतरु भी था तब वंचूल । कब्र पर आज चढाये फूल ॥३॥ विस्मति के सागर में मरी. डवा रहे थे याद । नाम न लेते थे, कहते थे, हो न समय बर्वाद ॥ मगर अव गये भूलना भूल । कन पर आज चढ़ाये फूल ॥४॥ सदा तुम्हारे लिये किया था, धन-जीवन का त्याग । सींच सींच करके ॲसुओंसे, हरा किया था बाग ॥ मगर तब हुए फूल भी शल । कन पर आज चढ़ाये फूल ||५|| अब न कत्र में आ सकती है, इन फूलों की वास । मुझे शाति देता है केवल, यही कुन का घास ॥ शान्त रहने दो जाओ भूल | बज़ पर आज चढाये फूल ॥
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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