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सत्य-संगीत
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पशुवल मे है सब न्याय लीन ॥ है यह अन्वेर मिटाना | दुनिया अव० ||४||
गोमुखयाधों की है कुटेक | पिसत समाजसेवी अनेक 1
है यहा अन्धश्रद्धातिरेक । कोसा जाता डटकर विवेक ॥
हमको विवेक फैलाना | दुनिया अव० ||५||
ash आपस में सम्प्रदाय |
है एक-प्राण पर भिन्न -काय |
करते हैं भाई का अपाय |
व्यय बडा और घट रही आय ॥ समभाव हमें बतलाना | दुनिया अव० ||६||
मंदिर मनजिद गिरजे अनेक |
मिलकर हो जाने एकमेक । छोटे अपनी अपनी कुटेक |
जग जाये जनता का विवेक || कोई भी हो न निराना | दुनिया अब ||७||
सौभाग्य सूर्य हो उदिन आज |
न नाउ ।
भगरनी अनि यस ॥ यस्तोमा
से पर दिल्ला | दुनिया ॥टा