________________
७४ ]
सत्य संगीत
महात्मा मुहम्मद
आ वीरवर मुहम्मद, समता सिखानेवाले । सप्रेम की जगत को, झॉकी दिखानेवाले ।।
(२) तेरे प्रयत्न से थे, पत्थर पसीज आये ।
मरभूमि में सुधा की, मरिता बहानेवाले ॥
हैवानियत हटाकर, लाकर मनुष्यता को । वर समाज को भी, सजन बनानेवाले ॥
(४) होता मनुष्य यव था, जन धर्म के बहाने ।
तर प्रेम अहिमा का मर्गात गाना ।।
बनर गहा जगा का, नान पुन रहा था।
भान कर दी गटांनगद ॥