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दिखा दे जन-सेवा की राह ।
दया चन्द्रिका को छिटकाकर, दुखियो के दुख मन मे लाकर,
दीनों की कुटियों में जाकर, हरले जग का दाह । दिखादे जन-सेवाकी राह ।।१।।
धर्मालय के ढोग मिटाने, हृदयो में पवित्रता लाने,
सत्य-वर्म का साज सजाने, आजा मन के शाह । दिखादे जन-सेवा की राह ॥२॥
वन अधी ऑखो का अञ्जन, दीन-दुखी जन का दुखभञ्जन,
कर दे तू उनका अनुरञ्जन, रहे न मनमें आह । दिखादे जन-सेवाकी गह ॥३॥
सर्व-धर्म-समभाव सिखादे, • सत्य अहिंसा रूप दिखादे,
विश्वप्रेम सबके मन लादे, रहे प्रेम की चाह । दिखादे जन-सेवाकी राह ॥४॥