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________________ बुद्ध [६७ mwww momwomainiowwwmowww www . . . . . .mmroom कुछ उया-देवी के नव अवतार । शाक्य-बन्धु पर-जग का प्यारा , भूले भटकों का ध्रवतारा, बुद्ध, अहिंसा सत्य दुलारा, करुणा पारवार । ढयादेवी के नव अवतार ॥१॥ धन-वैभव का मोह छोडकर, आगाओ का पाश तोडकर, स्वार्थ-वासनाएँ मरोड कर, किया जगत् से प्यार । - दयादेवी के नव अवतार ॥२॥ सुख दुख में सम रहने वाला, पर-दुख निज-सम सहने वाला, निर्भय हो. सच कहने वाला, सत्य-ज्ञान भडार । दयादेवी के नव अवतार ॥३॥ करुणा से भींगा मन लेकर, दुखियो के दुख को तन देकर, चकराती नैया को खे कर, करना वेडा पार । दयादेवी के नत्र अवतार ॥४॥
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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