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सन्य संगीत
राम निमंत्रण
है राम विपत पर रानवाण बनजाओ । भभार-हाण के लिय वरा पर आओ ।।
मभार वटा है, पाय बटे जाते है। उन्याचागे कनादत्र दिनयत है ।। दृजन द स्वार्थी पार इठलान है। सन्न पगसान न पान॥
आगे अन्नाग का गिनाया कराओ। भार-हण रवि वग पर आओ।
नलिस्ट को बताया तमंन । बन-बनने ।
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