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________________ तेरा नाम धाम [१२३ तेरा नाम धाम गिनाऊँ क्या क्या तेरे नाम । कटू क्या कहा कहा है धाम || नित्य निरजन निराकार तू प्रभु ईश्वर अल्लाह । ब्रह्मा विष्णु महेश्वर तू ही, परम प्रेम की राह ।। खुदा है. तू ही तू ही राम । गिनाऊँ क्या क्या तेरे नाम ॥१॥ महादेव शिव शकर जिन तू रब रहीम रहमान । गोड यहोवा परम पिता तू अहुरमज्द भगवान ।। सिद्ध अरहत बुद्ध निष्काम । गिनाऊँ क्या क्या तेरे नाम ॥२॥ सेतुबव जेरुसलम कागी मका या गिरनार । सारनाथ सम्मेदशिखर में बहती तेरी धार ॥ सिन्धु गिरि नगर नदी वन ग्राम । कहू क्या कहा कहा है धाम ॥३॥ मन्दिर मसजिद चर्च, गुरु-द्वारा स्थानक सब एक । सब धर्मालय सब मे तू हे होकर एक अनेक || सभी को चन्दन नमन सलाम । कहूँ क्या कहा कहा है धाम ॥४॥ मन्दिर में पूजा को बैठा मसजिद पढी नमाज । गिरजा की प्रेयर में देखा मैंने तेरा साज । एक हो गये सलाम प्रणाम । गिनाऊ क्या क्या तेरे नाम ॥५॥
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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