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________________ १२२ ] M सत्य संगीत wwwww~ ~ AAN तू जीवन का आधार । मिला तू दुनिया के धक्के खा खाकर आया तेरे द्वार || मिला ॥ परम निरीश्वर का ईश्वर तू वीतराग का राग । वुद्धि भावना का सगम तू तू है अजड प्रयाग || विश्वके सब तीथों का सार । मिला तू जीवन का आधार ॥१॥ मुझ निर्बल का बल है तू ही मुझ मूरख का ज्ञान । मुझ निर्धन का धन है तू ही तू मेरा भगवान || भक्ति है तू ही तू ही प्यार । मिला तू जीवन का आधार ॥२॥ निर्मल बुद्धि बताई तूने निर्मल व्योम समान । मात अहिंसा की सेवा मे खींचा मेरा ध्यान ॥ वजाये मेरे टूटे तार I मिला तू जीवन का आधार ॥३॥ तेरे चरण पालिये मैंने अब किसकी पर्वाह | त्रिपठोलाभन कर न सकेंगे अत्र मुझको गुमराह ॥ चन्द्रगा तेरे चरण निहार । " मिला तू जीवन का आधार ॥४॥ निवल निर्धन निःसहाय हू बुद्धिहीन गुणहीन | सभी तरह से बना हुआ हूँ मैं दोनो का दीन || किन्तु है तेरी भक्ति अपार । करेगी जो मेरा उद्धार ||५||
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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