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मेरी भूल
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[५] महाकालने चक्र घुमाया ।
तब ऊपर से नीचे आया । नदन बन की जगह खडे देखे चहुँ ओर बबूल ।
हुई थी कैसी मेरी भूल ||
[६]
तेरी याद हुई मुझको तब ।
काल लूट ले गया मुझे जब । की जड चेतन जगने मेरे दुख में टालमटूल ।
हुई थी कैसी मेरी भूल ।
[७] तब तेरी चरण-स्मृति आई । ___ मैंने अश्रवार वरसाई । आखो का मल वहा दिखा सच्चे जीवन का मूल ।
हुई थी कैसी मेरी भूल ।।
[८] दूर हुआ तेरा विछोह तब ।
मद उतरा हट गया मोह तब । विधप्रेमके रग रँगा मैं पाकर तेरी धूल ।
तभी सुधरी वह मेरी भूल ।