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सत्य-संगीत
११२ ] ... सत्य-संगीत
प्यालेकाले
[१] ठया कर ए प्यालेवाले, करके मस्त मुसाफिर लूटा पिला पिला प्याले ।
दया कर ए प्यालेवाले ॥
[२] निर्दय, यह सहार किया क्यों ।
मुग्ध पथिक को मार दिया क्यों ।। घुट घुट पर घुट पिलाये मारे ज्यों माले ।
ढया कर ए प्यालेवाले ॥
[३] मिला तुझे थोडासा भाड़ा ।
पर उसका ससार विगाड़ा ॥ उसे पटेंगे अब पद पद पर टुकडोंके लाले ।
दया कर ए प्याले चाले ॥
दुनिया को अपना श्रम देकर ।
जाता या आगाएँ लेकर ॥ घर को आगा में भूला या पैरों के छाले ।
दया कर ए प्याख्याले ॥