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________________ विवाह [७७ की बात ठीक है पर उन्नत को अवनत बनाने की बात ठीक नहीं। इसलिये कानून ऐसा बनना चाहिये कि ऐसी घटनाओं पर अंकुश पड़े। - गरीब और मध्यम श्रेणी के कुटुम्बों के सामने तो यह समस्या ही नहीं है श्रीमन्त कुटुम्बों के सामने ही इस बात का विचार है । परन्तु कानून तो सब को एक सरीखा होना चाहिये । इसलिये यह नियम ठीक होगा कि कन्या के भाइयों की संख्या के अनुसार प्रत्येक भाई पर कुछ सम्पत्ति निश्चित की जाय, उस सम्पत्ति से अधिक सम्पत्ति हो तो कन्या को भाइयों से आधा हिस्सा मिले । मानलो यह नियम बनाया गया कि प्रत्येक भाई और माता-पिता के लिये २०००) रुपये तक की सम्पत्ति अविभाज्य है बाद में जो सम्पत्ति बचें उस में से कन्या को भाई से आधा हिस्सा मिले । मानलो एक कुटुम्ब में बीस हज़ार की सम्पत्ति है, तीन भाई हैं, दो बहिने हैं आर माता-पिता है, अब तीन भाई और माता-पिता, इस प्रकार • पांच के हिस्से की दस हजार की सम्पत्ति तो अविभाज्य रही । बाकी जो दस हजार बचे उन में से प्रत्येक भाई को ढाई हजार और प्रत्येक बहिन को सवा हजार के हिसाब से हिस्सा मिला । सम्पत्ति अगर दस हजार से अधिक न हो तो कन्याको दायभाग के नाम पर कुछ न मिलेगा । इस प्रकार गरीब और मध्यम परिस्थिति के कुटुम्ब सम्पत्ति के हिस्सावाँट से और गरीब न होने पायेंगे, और श्रीमन्तों की लड़कियाँ गरीव से ब्याही जाने पर भी उतनी, गरीब न रह पायेंगी। रहने का मकान वगैरह हिस्साबाँट की चीज न समझी जाय, सम्पत्ति का हिस्सा कर दिया जाय, उसपर कन्या
SR No.010832
Book TitleAatmkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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