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(६९) खोली न होय. बीजं उपर मुजब होय. हवे त्रीजुं नाराच संघयण. तेने पाटो न होय, बे पासे मर्कटबंध होय. चोथु अर्धनाराच संघयण. तेमां एक पासे मर्कटबंध होय. पांचमुं कीलिका संघयण. ते वे सांधानी वचमां खीली होय. छठु छेवटु संघयण. ते हाडकाना छेडा एक एकने अडकीने रहे, हालमा ए ज संघयण छे, ने ज्यारे तीर्थकर महाराज विचरता हता ते वखतमा ए छए संघयणवाला माणसो हता. जेणे जेवू पुण्य बांध्यु होय, तेवू संघयण पामे छे. हालमां पण महाविदेह क्षेत्रमा ए छए संघयणवाला मनुष्य छे.
हवे छ संस्थान. तेमा प्रथम समचौरस संस्थान ते शरीरमां नाभीएथी बन्ने खमा सुधी दोरी भरवी अने ते ज दोरी पद्मासने बेठेला धुंटणनी चूंटी सुधी भरवी. ते सरखी थाय तेने समचौरस संस्थान कहेवू. ए शरीर सारं शोभीतुं होय. बीजूं न्यग्रोध संस्थान ते उपरनो भाग सारो होय ने नीचेनो भाग नबलो होय, तेथी उतरतुं त्रीजुं सादि संस्थान होय. तेथी उतरतुं चोथु वामन संस्थान. तेथी उतरतुं पांचमुं कुब्ज संस्थान. ते घणु बेडोल होय. छठं हुंडक संस्थान ते सर्व प्रकारे विपरीत लक्षणवालुं होय, ए शरीर आश्री संस्थान छे. पूर्वे जेवु कर्म वाध्यु होय तेवां तेवां शरीरनां संस्थान थाय छे. · हवे पांच वर्ण ते लीलो, रातो, पीलो, श्याम अने उज्वल ए वर्णनामकर्म जेवू बांध्यु होय तेवो शरीरनो वर्ण होय. गंध बे. ते सुरभिगंध तथा दुरमिगंध. जेणे जेवू शुभाशुभ कर्म बांध्यु होय तेवो शरीरनो गंध होय. हवे रस पांच ते-तीखो, कडवो, खाटो, कषायलो एटले तूरो अने मधुरो, ए पांच रसमाथी जेणे जेवू रस नामकर्म बांध्यु होय तेवा रसवालुं शरीर होय. स्पर्श आठ ते-हलवो, भारे, लूखो, चोपडो, टाढो, उनो, सुंवालो, बरसट ए आठ स्पर्श छे. तेमांथी जे जे नामकर्म वांध्यु होय ते प्रमाणे शरीरना स्पर्शी होय. आनुपूर्वी चार ते मनुष्यानुपूर्वी, देवानुपूर्वी, तिर्यचानुपूर्वी, नरकानुपूर्वी, जे गतिमां जीवने जq छे ते गतिमां ते गतिना