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हवे नामकर्म ते नामकर्मनी एकसो त्रण प्रकृति छे, तेना भेद नीचे मुजब-गति नामकर्म. जे पूर्व बांध्यु होय ते. मनुष्य, तिर्यंच, नारकी अनेः देवता ए चार गतिमांजे गतिमा जवानुं कर्म बांध्यु होय ते गतिमांजाय. जाति नामकर्म. एकेंद्रि, बेरेंद्रि, तेरेंद्रि, चौद्रि, पंचेंद्रि आ पांच जातिनां इंद्रि नामकर्म तेमांथी जेटली इंद्रि पामवानी बांधी होय तेटली ते गतिमां बांधे. तनु कहेतां शरीर ते पांच प्रकारनां छे. उदारिक शरीर जे आपणां छे ते तथा तिर्यंच पण उदारिक शरीरवाला छे. तथा वैक्रिय शरीर ते देवता नारकी, ए शरीर पारा जेतुं छे. जेम पारो विखराइ जाय ने, पाछो मली जाय तेम ए शरीरना नरकमां उपजती वखते ककडे ककडा करे छे ने पाछा सर्वे ककडा एकठा थइ पाखं शरीर थाय छे त्यार पछी पण परमाधामी दुःख देती वखते कापे छे, व्हेरे छे, तो पण पार्छ शरीर तैयार थाय छे विनाश पामतुं नथी. वली देवताओ खुशीथी न्हानु शरीर करे छे, म्होटुं शरीर को छे, नवां नवां रूप बनावे छे एवो वैक्रिय शरीरनो स्वभाव छे. त्रीजु आहारक शरीर ते अतिशय ज्ञानी जे चौद पू. वंधर तेमने ए शरीर करवानी लब्धि होय छे. ते कोइक वखते कंइ शंकापडे छे तो मुठी वालेला हाथ जेटलुं शरीर बनावी. तेने भगवान पासे प्रश्न पूछवा मोकले छे, ते घणा ज अल्पकालमा जइने पाडु आवे छे, ते एवा मुनि महाराज शिवाय बीजाने थतुं नथी. चोथु तैजस शरीर ते शरीरमा आहारने पचावे छे. कार्मण शरीर ते अति सूक्ष्म शरीरनी माहि रहे छे, ज्यारे जीव आ गतिमांथी मरण पामी बीजे स्थानके जाय छे त्यारे ए तैजस ने कार्मण शरीर साथे जाय छे. कर्म पण कार्मण शरीरमांजरहे छे. उदारिक वैक्रिय शरीरनी साथे ए तैजस, कार्मण शरीर हम्मेशां रहे. छे. ए शरीर नामकर्म जेवी रीते बांध्यु होय तेवू पामे छे.
उपांग नामकर्म. ते उदारिक आंगोपांग, वैक्रिय अंगोपांग, आहारक अंगोपांग ए त्रण शरीरने अंगोपांग छे ते जेवू बांध्यु होय तेवां अंगो पांग थाय.