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( १८९ ) चोरनो वर्ग ते सोल थाय ए बीजो वर्ग. सोलनो वर्ग ते बसे छप्पन थाय ए त्रीजो वर्ग बसे छप्पननो वर्ग ६५५३६ थाय ए चोथो वर्ग. एनो पांचमो वर्ग करतां ४२९४९६७२९६ थाय. ए पांचमानो वर्ग करतां १८४४६७४४०७३७०९५५१६१६ थाय ए छट्टो वर्ग. एनी साधे पांचमा वर्ग करतां आंक थाय ते ( ७९२२८१६२५१४२६४३३७५९३५४३९५• ३३६ ) आ संख्याए उत्कृष्ट पदे गर्भज मनुष्य कह्या छे ने उत्कृष्ट पदे समूर्छिम गर्भज एकठा गणतां असंख्याता कह्या छे. आ मनुष्य अढी द्वीपमा मलीने थाय.
प्रश्नः -- १२९ अढीद्वीप शी रीते कह्या छे !
उत्तरः- श्रा आपणे रहीये छीये ते जंबूद्वीप छे. ते वचमांथी भरो तो लाख जोजननो थाय. ए गोल आकारे छे. एनी पाछल फरतो लवण समुद्र छे ते बे लाख योजननो छे. तेनी पाछल घातकीखंड नामे द्वीप के ते चार लाख योजन पहोलो छे. तेमां मनुष्य छे. तेनी पाछल कालोद समुद्र छे ते आठ लाख योजननो छे. तेनी पाछल पुष्करावर्त्त द्वीप के ते सोल लाख योजननो छे. तेमां श्रडधा द्वीपमां मनुष्यनी वस्ती छे. अडधामां मनुष्यनी वस्ती नथी. तेथी अढीडीपने शास्त्रमां मनुष्यक्षेत्र कहां छे. तेनी आगलना द्वीप समुद्र तो असंख्याता छे पण त्यां मनुष्य नथी.
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प्रश्नः - १३० देरासरमां दीवा उघाडा मूकाय छे ते योग्य छे के कैम ? उत्तरः- एकवीश प्रकारी पूजामां सकलचंद उपाध्यायजीए कहुं छे जे फानसमां दीवा मूकवा. वली पूजाप्रकरण भद्रबाहु स्वामिनुं करेलुं छे तेमां कहेलुं छे जे दीवा मूकवा ते प्रभुने ताप न लागे एवी रीते मूकवा.. जेम पोताने ताप लागे छे तेमज गणी प्रभुने ताप न लागे एम मूकवा. एवी रीते दीपक पूजा करवी, उघाडा दीवा गृहस्थ पोताने घेर मूकता नथी, ने जिनमंदिरमां मूके तो अन्यदर्शनी पण कहे जे श्रावकलोक, देव आगल दीवा उघाडा मूके छे ने घर आगल ढांके छे ! ए शुं ? ए पण लघुतानुं कारण छे. वली पंचाशकजीमां कह्युं छे जे जिनपूजामां जे