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(१८) शेडवो भावे जे, धन कुटुंबादिक जे पदार्थ छे ते म्हारा नथी. आ शरीर छे ते म्हारं नथी कारण जे म्हारी वस्तु छे ते विनाश पामती नथी. म्हाराथी जूदी थाय नहि. ने श्रा शरीर तो विनाश पामे छे. म्हारो ने एनो स्वभाव जूदो छे. ए शरीर ते पुल पदार्थ छे. पुद्गलना द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव न्यारा छे. पुद्गल द्रव्य ते परमाणुं छे, ने तेवा अनंता परमाणु मलीने जे पदार्थ थयो छे. तेने स्कंध कहेवाय छे. तेनुं आ शरीर बन्यु छे. एवा ज कंध छे, ते विखरीने पाछा परमाणुं थइ जाय छे.वली एमां जडता स्वभाव छे तेथी म्हारा द्रव्य ने शरीरना द्रव्य न्यारा छे. वली क्षेत्र जेटलुं म्हॉटुं शरीर छ वा स्कंध छे, तेटलुं क्षेत्र अवकाशी रहे
छे. परमाणुं छे ते एक आकाश प्रदेश अवगाहीने रहे छे माटे आत्मानु 'ने पुद्गलनुं क्षेत्र न्यारं छे. कालथी परमाणु अनादि अनंत छे शरीरादि स्कंध सादिसांत छे. एटले आदि पण छे ने अंत पण ले. भावथी अचेतन एटले जडभाव वर्ण गंध रस स्पर्शमय छे तो भावथी पण आत्माना गुणथी शरीर जे पुद्गल द्रव्य तेनो भाव न्यारो छे. एवी रीने. पुद्गल द्रव्यर्नु स्वरूप जाणे छे, पोते जडभावी न्यारो थाय छे. एम ज चारे निक्षेपाए विचारे. नामथी जीव वा आत्मा एवं नाम छे. जीव ने स्थापना निक्षेपो ते जीव एवा अक्षर लखवा वा, मूर्ति बनाववी ते. द्रव्य नि क्षेपो ते असंख्यात प्रदेशमय--ए त्रण निक्षेपा तो व्यवहार छे. भाव निक्षेपे आत्मानुं अरूपि स्वरूप, अव्याबाध स्वरूप, अक्षय स्वरूप, सर्व वस्तु जा. श्रवा देखवानो स्वभाव एवो आत्मानो स्वभाव जाणे छे. जे जे पुद्गलदशानी प्रवृत्ति मननु चितवन बनी रयुं छे, ते म्हारा स्वभाव नथी. एवं निर्धार थवाथी जे जे जड प्रवृत्ति तेना उपर उदासीन वृत्ति थाथ, इहां शंका थशे के उदासीनवृत्तिने वैराग्य ते जूदो छ ? ते विषे समजq के शास्त्रमा वैराग्य कोने कहे छे ? जे परवस्तु उपर भाव जाय छे तेने पाछा वाली पोतानु मन खशेडे छे तेने उदासिन वृत्ति थाय तो काइ चितवन करवू पडतुं नथी. केमके जे जे वस्तुथी उदासवृत्ति थइछे