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(१३) न होय तो श्रावकमां वडेरा होय ते करेमिभंतेनो पाठ' उच्चरावे. हवे सामायिक लेवानी तथा प्रतिक्रमण करवानी रीत उभा उभां छे, बेठाबेठा प्रतिक्रमण करवानुं प्रायश्चित्त एक आंबीलनुं श्राद्धजितकल्पमां का छे,वा स्ते छती शक्तिवालाने बेठां बेठां करवू ए योग्य नथी. सवारनुं पण प्रतिक्रमण करवानी रीत उभा उमा छे. पडिक्कमणा हेतुगर्भित जोशो तो जणाशे. समायिक लीधा पछी खमासमण देइ बेसणेसंदिसाहु १ एटले बेसुं ? त्यारे गुरु आदेश आपे छे. पाछो फरी खमासमण देइ, बेसणे ठाउं? कहे छे एटले बेसु छु. एथी पण जणाय छे के बेठां बेठां समायिक ले. वानी आज्ञा होय त्यारे आ आदेश लेवानी जरुर नथी, पण उभो छे ते थी बेसवानी आज्ञा मागे छे. हवे बेसीने सझाय ध्यान करवू. ते सारु सझाय संदिसाहु एटले सझाय करूं ? गुरु कहे छ जे कर. त्यारे पाछो वि. शेष विनय जणाववा कहे छे जे करुं छु. त्यारे गुरु कहे जे कर. त्यारबाद त्रण नवकार गणवा. तेनुं कारण एटलुं ज छ जे दरेक काम मंगलिक क रीने करवं, ते मंगल करवाने त्रण नवकार गणे. पछी सझाय ध्यान करे. हवे जेने पडिक्कमणुं करवू होय तो ते पडिक्कमणामां छठो पच्चख्खाणनो आवश्यक छेल्लो आवे ते वखते पञ्चख्खाणनो काल होय नहि ते सारु मु हपत्तिनो आदेश मागी मुहपत्ति पडिलेहे एटले शरीरनी शुध्धि थाय ए मुहपत्ति पलेवती वखते खमासमणुं देइ. आदेश मागी मुहपत्ति पडिलेह वी, एवि रीते सेनप्रश्नमां का छे, पछी द्वादश वंदन करे, केम के पञ्चख्खाण गुरु पासे करवूछे. त्यारे तेमनो विनय करवो जोइए, ते विन करी गुरु पासे पच्चख्खाण करे. पछे चार थुइए देववंदन करे, कारण जे हरकोइ कार्यमा प्रथम देववंदन करवू जोइए. देववंदनमा पहेली थुइ अ. रिहंतनी भक्तिनी कहे, बीजी थुइमां सर्व अरिहंतनी भक्ति थाय छे, त्रीजी थुइमां ज्ञाननी स्तुति थाय, चोथी थुइ समकितदृष्टि देव शासनरखोपुं करे छे तेमने संभारवा सारु कहेवी, एवी रीते हेतु छे. नमुथ्थुणं कही चार खमासण देइ चार पुरुषने वंदन करे छे. पहेला भगवान् हुए
हतनी भक्ति थाय
त थाय, चोथी
खो' करे ? म