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२. सिरीचंदे पुष्ककेऊ, महाचंदे
सुयसागरे य रहा, श्रागमिस्साण होक्खइ ॥
य केवली ।
३. सिद्धत्ये पुण्णघोसे य, महाघोसे सच्चसेणे य रहा, श्रागमिस्साण होक्खइ ॥
य केवली ।
४. सूरसेणे य श्ररहा, महासेणे य केवली |
सव्वाणंदे य रहा,
देवउत्ते य होक्खइ ॥
५. सुपासे सुव्वए
रहा,
रहे य रहाणंतविजए, श्रागमिस्साण होक्खइ ||
कोसले |
६. विमले उत्तरे अरहा, अरहा य महाबले ।
देवानंदे य रहा, श्रागमिस्साण होक्खइ ॥
७. एए वृत्ता चउव्वीसं, एरवयम्मि श्रागमिस्सारण होक्खंति, धम्म तित्थस्स
समवाय-सुतं
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केवली |
१२१. बारस चक्कवट्टी भविस्संति, वारस चक्कवट्टीपियरो भविस्संति, बारस मायरो भविस्संति, बारस
इत्थीरयणा
भविस्संति ।
देसगा ॥
नव बलदेव वासुदेवपियरो भविस्संति, णव वासुदेव - मायरो भविस्संति, णव दसारमंडला
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पुण्यघोष, ११. महाघोष, १२. सत्यसेन, १३. शूरसेन, १४. महासेन, १५. सर्वानन्द, १६. देवपुत्र, १७. सुपार्श्व १८. सुव्रत, १६. सुकौशल, २०. अनन्तविजय, २१. विमल, २२. उत्तर, २३. महाबल और २४. देवानन्द |
ये चौवीस तीर्थङ्कर श्रागामी उत्सर्पिणी में ऐरवत वर्ष में धर्मतीर्थ के देशक / प्रवर्तक होंगे ।
१२१. बारह चक्रवर्ती, उनके बारह पिता बारह माताएं और स्त्रीरत्न होंगे ।
नौ बलदेव - वासुदेवों के नौ पिता, नौ वासुदेवों की नौ माताएँ, नौ वलदेवों की नौ माताएँ और नो
समवाय- प्रकीर्ण