________________
..कियो कहांपा केवल ज्ञान।।सुगुरु मगन सुष
साय कहै मुनि माधव विनय भव्यतारे॥ .। क.॥ ४ ॥ इतिः ।।
॥ अथ होरी॥ .:॥ पालोशील विरत सुख कारी । सुनों : सौभागिन नारी । टेरा। संजो शियल शृंगार सलोनी ॥ विषय विकार विसारी ।। जानी तन धन जोवन चंचल । चल दल ने अनुहारी । बेलगयो मनडोबारी ॥ पा०॥ ॥ १ ॥ पंचन की साखी.. सें. परणी ते. पियुनी रहो प्यारी । तासे और पुरुष को जानो । रक फकीर भिखारी ॥ होय जो सुर अवतारी ॥ पा०॥२॥ नट खट नर लॅपट लुच्चा से ॥ दूर रहो. हरवारी ।।