________________
1
॥ श्रीमद्वीराय नमः
॥ अथ लावनी रंगत लंगडी ॥ सकल इष्ट मांहीं विशिष्ट उत्कृष्ट पंच परमेष्टि विचार ॥ याकी महिमां अगम सुरगुरु सुनि कहत न पावें पार || टेर ॥ गुण अनंत परमेष्टि प्रभू के पै शर्त अष्टो तर परधान । सुमरण तिनका करो भंव जीव हरिदेमें घर के ध्यान ॥ तरु अशोक ' सुर सुमनदृष्टि दिव्यध्वनि चारु चमर जुगे जानें || फंटिक रतन को लसे सिंहासन भामंडल ज्यूमानं ॥ तीन छत्र पर छत्र देव दुनी येवसु प्रति हार्य्य वखान || अपायं