________________
(१)
॥ पुनः ॥ ॥ प्रबल पापदल दलन वज्रवर विषत विघन घन शमन शमीर || तपदव सरिसो दहन भव विपन मदनमारन बडवार || टेर।। अनशनादि तपतपत त्रिदशपति त्रिविधि सेव तिरकाल करें ॥ खेट भेट ले मिल कर जोड भवन पति पांय परे ॥ काज करें विंतर किंकर सम विनय सहित अस्तुत उचरें ॥ खग पति ना में शीस अवनीश चरण में माथ धरै ।। अति अनंद अहमिंद करें अभिवेदन कटे करम जंजीर ॥ त० ॥ is.. १॥ तप से सिद्ध होंय सब साधन मंत्र जैत्र और तंत्र जडी॥सफलित होवे दियो वर पदमा पांयन रहे पंडी ॥ प्रगट होय घट