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३४ और साधुका भंडन है ! गृहस्थके पास कौडी न हो तो वो कौडीका और साधुके पास कौडी हो तो वो कौडीका! ...
अंतमें सर्वकी सम्मति अनुसार यह नियम स्वीकार किया गया.
प्रस्ताव सोलवा.
(१६) I अहमदावादके मोहनलाल लल्लुभाई नामक मनुष्यके निकाले हुए हेन्डविलमें, अपने परमप्रज्य परमोपकारी जगद्विख्यात आचार्य महाराज श्रीमद्विजयानंद सूरि तथा प्रवर्तक श्रीकांतिविजयजी महाराज तथा मुनि वल्लभविजयजी पर अश्लील आक्षेप किये हैं ! जिससे पंजाव वगैरह देशोंके श्रावक वर्गका दिल अत्यंतही दुःखी हुआथा ! उस वक्त अपने साधुओंने और खास कर प्रवर्तकजी महाराज तथा वल्लभविजयजीने शांततापूर्वक उनको समझाकर शांत किया और झगडेको वढने न दिया ! उसका यह संमेलन अनुमोदन करता है और यदि कोई समय भविष्यमें ऐसा प्रसंग आवेतो ऐंसेही शांतता रखनेके लिये यह सम्मेलन सम्मति देता है.
इस प्रस्तावके उपस्थित होते हुए पन्यास श्रीसंपतविजयजी महाराजने कहाथा कि, साधुओंका यही धर्म हैं कि, अगर कोई गालियां दे या इससे भी आगे बढकर कोई शरीर पर चोट पहुंचाने आवे तोभी शांति रखनी चाहिये. जब