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नमस्कारमंत्र.
शिक्षापाठ ३५. नमस्कारमंत्र.
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नमो अरिहंताणं;
नमो सिद्धाणं;
नमो आयरियाणं;
नमो उवज्झायाणं; नमो लोओ सव्वसाहूणं.
आ पवित्र वाक्योंने निर्ग्रथप्रवचनमां नवकार (नमस्कार) मंत्र के पंचपरमेष्टिमंत्र कहे छे.
अर्हत भगवंतना चार गुण, सिद्ध भगवंतना आठ गुण, आचार्यना छत्रीश गुण, उपाध्यायना पंचवीश गुण, अने साधुना सत्तावीश गुण मळीने एकसो आठ गुण थया. अंगूठा विना वाकीनी चार आंगळीओनां वार टेरवां थाय छे; अने एथी ए गुणोनुं चितवन करवानी योजना होवाथी बारने नवे गुणतां १०८ थाय छे. एटले नवकार एम कहेवामां साये एवं सुचवन रधुं जणाय छे के हे भव्य ! तारां ए आंगळीनां टेरवांथी ( नवकार) मंत्र नववार गण. कार एटके करनार एम पण थाय छे. चारने नवे गुणतां जेटला थाय एटला गुणनो भरेलो मंत्र एम नवकार मंत्र तरीके एनो अर्थ यह शके छे. पंच परमेष्टि एटले आ सकळ जगमां पांच वस्तुओ परमोत्कृष्ट छे ते ते कपि कवि : - तो कहीं बतावी के अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय अने साधु, एने नमस्कार करवानो जे मंत्र ते परमेष्टि मंत्र ; अने पांच
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