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उत्तम गृहस्थ.
मावापने धर्मनो वोध आपे छे.
यत्रयी घरनी स्वच्छता, रांध, साँध, शयन इ० रखावे छे.
पोते विचक्षणताथी वर्ती स्त्री, पुत्रने विनयी अने धर्मी करे छे.
कुटुंबमां संपनी रद्धि करे छे. प्रावेला अतिथिर्नु यथायोग्य सन्मान करे छे. याचकने क्षुधातुर राखतो नथी. सत्पुरुषोनो समागम, अने तेओनो वोध धारण करे छे. समर्याद अने संतोपयुक्त निरंतर वर्ते छे. जे यथाशक्ति शास्त्रसंचय घरमा राखे छे. अल्प आरंभथी जे व्यवहार चलावे छे.
आवो गृहस्थावास उत्तम गतिनुं कारण थाय, एम ज्ञानीओ कद्दे छे.
शिक्षापाठ १३.जिनेश्वरनी भक्ति भाग१.
जिज्ञासु-विचक्षण सत्य! कोइ शंकरनी, कोइ ब्रह्मानी, कोइ विष्णुनी, कोइ सूर्यनी, कोइ अग्गिनी, कोइ भवानीनी, कोइ पेगम्बरनी अने कोइ क्राइस्टनी भक्ति करे छे. एओ भक्ति करीने शुं आशा राखता हो ?