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नोने आत्म-हित भणी लक्ष कराववानो छे. तेमज आत्मार्थी पुरुषो आवी वीजी खपर हितकारी माळा गुंथी प्रसिद्धिमा लावे एवो पण एक हेतुछे, आ मोक्षमालानां चार पुस्तको थवानी योजना हती एमांनुं आ वीजुं पुस्तक छे.
अगाउ कां तेम आ पुस्तक वालाववोध छे. विवेचन अने प्रज्ञानवोध त्रीजा अने चोथा पुस्तकमां आववानी योजना हती. पहेलां पुस्तकनो उद्देश पांचमा पारिग्राफथी सूचित थायछे. आ ग्रंथना कर्ता पुरुष ए वाकीनां पुस्तको गुंथे ए पहेला तेओ श्रीनो देहोत्सर्ग थयोछे जेना करतां वीजें कंड संताप जनक होइ शके नहीं. त्रीजा अने चोथा पुस्तकनी संकलना दरेक मालाना १०८ शिक्षापाठ रुप मणकावडे संक्षेपमा अल्प वखतमां एओए प्रकाशी छे. कोइ विवेकी, मध्यस्थभावी जीव ज्ञानी पुरुषतुं आलंबन लइ ए संकलना प्रमाणे माळा गुंथवा पुरुषार्थ करे तो ते महा भागने स्वपरहित सुलभ छे. तथास्तु!
२ आ ग्रंथनी आ वीजी आवृत्ति प्रगट थायछे. "वितराग मार्ग प्रवेशिका" एवं उपनाम आ ग्रंथने योग्य छे. वितराग कथित मार्गनुं स्वरुप आ ग्रंथमां दर्शाव्यु छे ज्ञानादि विकसाववानी, विशुद्ध करवानी आमां कुंची रहेली छे. कत्ती पुरुषे प्रकाश्यु छ के-बहु उंडा उतरतां
आ मोक्षमाळा मोक्षनां कारणरुप थइ पडशे. (कारणके) मध्यस्थताथी एमां तत्वज्ञान अने शिल वोधवानो उद्देश छे...