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ऋषिमंगलवति - पूर्वी ६.
मनो बलदेव पुत्र इतो. रुइ राजाने बीजी लोकमां विख्यात एवी पृथिवी ना-: मेस्त्री दती तेने स्वयंभू नामनो प्रसिद्ध वासुदेव पुत्र इतो. पी पिताए राज्यासने स्थापन करेला स्वयंभूए युद्धमां मेरक नामना प्रतिवासुदेवने नई बंधु सहित मा पोते कंठ सुधी कोटिसीला नपामी. ते उपरथी सोल हजार रा जानए तेने बंधू सहित चक्रवर्त्तीनो अभिषेक कस्बो पी साठ धनुष्यना शरीरवालो ते स्वयंभू वासुदेव साठ लाख वर्ष पर्यंत आयुष्य जोगवी अंते मृत्यु पामीने अशुभ कर्मश्री डी नरके गयो. जर बलदेवे सर्व सावद्यनो त्याग करी श्रेष्ठ संवर युक्त थर चारित्र लीधुं. बेवटे साठ धनुष्यना शरीरवाला मुनि पांस लाख वर्ष पर्यंत आयुष्य पूर्ण करी मोक्षपद पाया.. ॥ इति श्री जड़ बलदेव चरित्रम् ॥
॥ अथ श्री सुमन बलदेव चरित्रम् ॥
पृथ्वी पर प्रसिद्ध एवी द्वारका नगरीने विषे चंद समान मनोदर मुखवालो श्रीमान् सोम नामनो राजा राज्य करतो हतो. तेन सुदर्शना नामनी पट्टराणीश्री नृत्पन्न थयेलो मनुष्योमां उत्तम एवो सुमन नामे बलदेव पुत्रं हतो एने वीजी शीलवती शीतल एवी बहाली सीता नामनी स्त्रीथी उत्पन्न थ येलो पुरुषोतम नामनो वासुदेव पुत्र हतो. पचास धनुष्यना प्रमाण देहवाला
श्वेत तथा कृष्ण एवी शरीरनी कांतिवाला ते बन्ने बंधन पिताथी राज्य पामीने शोजता इता. अनुक्रमे सुप्रन बंधुनी सहायताने लीधे पुरुषोतम वासुदेवे पोताना पुरुषार्थी प्रतिवासुदेव एवा मधुकैटनने मारयो भने वने जाश्री वाती सुवी कोटि झीला नपामी. ते नपरश्री सोल हजार राजानंए तेने चक्रवर्त्तीनो अभिषेक करयो. उत्तम वैभववालुं साम्राज्यपद जोगवीने पीते पुरुषोतम पोतानुं त्रीस लाख वर्षनुं श्रायुष्य पूर्ण करी बढी नरकने विषे नारकी श्रयो ने सुमन वैराग्यनी उत्कृष्टताश्री चारित्र लइ पोतानुं पं चावन लाख वर्षनुं आयुष्य पूर्ण करी मोक्षपद पाम्या.
॥ इति श्री सुमन बलदेव चरित्रम् ॥