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तुरत उपचार
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बहुत कुछ अनुकूल ही था। फिर भी उनका मत है कि आजको अभावपूर्ण स्थितिका वही उपचार कारगर हो सकता है जो देर-साध्य न होकर तात्कालिक हो, और वैसा उपचार कोई ऐसा ही अर्थ-कृषि-विशारद प्रस्तुत कर सकता है जो उन विद्याओंसे ऊपर सच्चे मानव-मनोविज्ञानका ज्ञाता हो और उस प्रधान मन्त्रीका पुरस्कार भी एक बार अपने सिरपर लेनेके लिए तैयार हो।