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________________ तुरत उपचार इस प्रकार सारे राज्यमें मेलों और नगर-भोजोंका दौर चल पड़ा। जनता अपने प्रस्तुत अभावके संकटको भूल गई और उसे विश्वास होने लगा कि किसी दैवी समृद्धिने आकर उनकी दरिद्रताको दूर कर दिया है। किन्तु सात ही दिनके भीतर राजकीय अन्न-भण्डार तीन चौथाईसे अधिक खाली हो गया। राजाको इसकी सूचना मिली। उसने तुरन्त इस मन्त्रीको अपदस्थ करके कारावासमें डाल दिया और अगले दिन फाँसीके तख्तेपर लटका दिया। इतनी बड़ी राष्ट्र-घाती मूर्खता या उच्छृङ्खलताका इससे कम और क्या दण्ड दिया जा सकता था ! यह दण्ड जनताकी दृष्टिमें नहीं आने दिया गया। किन्तु राजकीय भोजन-शालाएँ अब बन्द नहीं की जा सकती थीं। उन्हे बन्द करनेका अर्थ था, देशमे भयङ्कर अराजकता और लूटमार । राजाने देशके धनिकों और अन्न-व्यवसायियोंके पास रातोरात अपने गुप्तचर भेजकर उन्हे इस भयंकर परिस्थितिकी चेतावनी दी और कहा कि यदि वे अपना सम्पूर्ण अन्न तुरन्त ही राजकीय गोदामोंमें न भेज देंगे तो दो-तीन दिनके भीतर ही जनता उनके अन्न-भंडारोंके साथसाथ उनकी सम्पूर्ण सम्पत्ति और प्राणोंतकको लूट लेगी। परिस्थितिकी उग्रता स्पष्ट थी। अधिकांश अन्न-संग्राहकोंने अपने संग्रहका अधिकांश भाग राज-भंडारमें दे दिया। राजकीय भोजन-शालाएँ यथावत् चलती रहीं और उनके साथ-साथ मेलों और उत्सवोंके दौर भी। राज-भंडारमें इस नये आयात अन्नसे देशभरका तीन महीनेका काम और चल गया। जब राज-भंडारमें दस दिनके लिए अन्न शेष रह गया तब नई फसल कट कर आनेमें केवल बीस दिनकी देर रह गई थी।। __ यथोचित विज्ञप्तियों द्वारा राजाने यह स्थिति समस्त जनताके सम्मुख प्रकट कर दी । अबकी बार फसल बहुत अच्छी हुई थी। लोगोंने परिश्रम, उत्साह और निश्चिन्ततासे काम किया था, भूखका आतंक उनके हृदयोंसे निकल गया था। बीस दिन तक आधा भोजन लेकर ही काम चलानेकी
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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