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________________ तुरत उपचार किसी समय एक देशमें वर्षाकी कमी और व्यापारिक ह्रासके कारणोंसे बड़ी दरिद्रता आ गई और देश वासियोंके भूखों मरनेकी नौबत आ पहुँची । देके राजाने राज्यभर में घोषणा कर दी कि जो व्यक्ति इस परिस्थिति से मुक्ति दिलानेके लिए सबसे अच्छी योजना प्रस्तुत करेगा उसे ही राज्यका प्रधान मंत्री बनाकर उसकी योजनाको कार्यान्वित करनेका पूरा अवसर दिया जायगा । अनेक विद्वानों और अर्थ - कृषि - विशारदोंने अपनी-अपनी योजनाएं प्रस्तुत कीं । योजनाएँ स्वभावतया लम्बी-चौड़ी और कम या अधिक देरसाध्य थीं और उनके कार्यान्वित करनेमें बहुत धैर्यकी आवश्यकता थी । किन्तु उनमें एक योजना ऐसी भी थी जिसमे पहले दिनसे ही प्रस्तुत विकट समस्या के हलका आश्वासन था; और विशेषता यह थी कि उस योजनामें आश्वासनके अतिरिक्त और कोई बात ही नहीं थी । राजाने इसी योजनाको स्वीकार कर लिया और उसके प्रस्तुत कर्ता को प्रधानमन्त्री बनाकर उसके अधिकार सौंप दिये । इस नये मन्त्रीने राजकीय अन्नके सुरक्षित गोदामोंमें से निकलवाकर अन्नके बोरे रातोरात राज्यके प्रत्येक नगर और ग्राममें पहुंचवा दिये और आदेश दिया कि प्रतिदिन प्रत्येक नगर और ग्राममें केवल प्रातः से मध्याह्न कालतक ही खेतों और कारखानों में काम होगा, दोप हरमें राजकीय भोजनशाला से सबको यथेष्ट भोजन मिलेगा और सायंसे शयन - कालतक के लिए विशेष मेलों और विविध प्रकारके सामूहिक आमोद-प्रमोदोंका आयोजन रहेगा । इस व्यवस्थाके अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्तिके लिए उसकी रुचि और शक्तिके अनुकूल नियमित श्रमदान अनिवार्य था ।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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