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________________ स्थूल और सूक्ष्म दक्षिण भारतके समुद्र-तटवर्ती तत्कालीन अम्बुनाड नामक प्रदेशमें किसी समय एक अति प्राचीन मानव जातिके वंशज रहते थे। इन लोगोंकी कोई नियमित राजकीय व्यवस्था नही थी। ये अलग-अलग दलोंमे छोटे-छोटे ग्राम-समूहोंमें रहते थे और इनके दल-नायक ही न्यूनाधिक रूपमे इनके शासक थे । ये लोग खेती करते थे। धरतीके धान और समुद्रकी मछलियाँ ही इनका मुख्य आहार था। पड़ोसके पार्वत्य वनोंसे कुछ पशुओंका आखेट भी ये कर लेते थे। दलोंके बीच धरती और जल भागोंके लिए युद्ध भी प्रायः होते रहते थे। एक बार ऐसा हुआ कि इनके खेतोंमें पानी न बरसनेके कारण धान तनिक भी नही उपजा और समुद्रको मछलियाँ भी किसी दैवी प्रेरणावश तटसे इतनी दूर चली गयीं कि वहाँ-तक इनकी डोंगियाँ नहीं पहुँच सकती थीं। आहारके अभावसे जीवनका संकट इनके सामने आ खड़ा हुआ। ऐसे संकट-कालमें सम्पूर्ण जातिके समस्त दलोंके लोग एकत्र हुए और अपने अग्रचेता गुरुजनोंकी सलाहसे पड़ोसके समृद्ध द्रविड़ राज्यके राजाके पास उन्होंने संदेशा भेजा कि वे उनके राज्यमें सम्मिलित होकर उनकी प्रजा बननेके लिए तैयार हैं, यदि द्रविड़-राज उस समय उनकी जीवनरक्षाकी तथा भविष्यमें सुखपूर्वक जीवन-निर्वाहकी व्यवस्था कर सकें। द्रविड़-राजको दृष्टि बहुत दिनोंसे अम्बुनाडपर थी और वे इसे अपने राज्यमें सम्मिलित करना चाहते थे। किन्तु इस जातिको अराजकता और दुर्दम्य स्वच्छन्दताकी प्रवृत्तिके कारण अबतक उन्होंने इस दिशामें कोई पग नहीं उठाया था।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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