SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अज्ञातका मोल ११५ जा सकता हूँ जहाँका मैं निवासी हूँ और जहाँ पहुँचनेपर मेरी जातिके दूसरे बन्धु-बान्धव तुम्हें मालामाल कर सकते हैं।' घोंघेने आगे बताया कि वह समुद्रका निवासी है और समुद्रमे मिलने वाली उस नदीकी राह, नदीके उद्गम मानसरोवरकी यात्राको गया थाऔर वहाँसे लौटते हुए ही उसके जालमे पकड़ लिया गया था। घोंघेके आदेशानुसार अगली सुबह उस मछवाहेने उसे साथ लेकर नदी में अपनी डोंगी खोल दी। कुछ दिनोंकी यात्राके पश्चात् वह समुद्रकी सीमापर जा पहुंचा। ___ कहते है कि शंख, सीप और मोतियोंका सबसे पहला व्यापारी वही हुआ।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy