________________
विपदाके हाथ
- १०३
अगले वर्ष ये व्यापारी अपने परिचित परदेशसे अबकी बार बहुत घाटेका व्यापार कर स्वदेश पहुंचे। उन्होंने देखा कि उनका वह छूटा हुआ साथी बहुत पहले अपनी नावको हीरोसे भरकर वहाँ लौट आया है और वही अब देशका सबसे बड़ा धनिक है।
उस निर्जन टापूमें सोनेसे सहस्र गुने मूल्यवान् हीरोंके खेत थे।
इस घटनाके पश्चात् अगणित साक्षियों द्वारा यह रहस्य स्थापित हो चुका है कि विपदाकी देवी जब किसी मनुष्यको अपने हाथोंकी मारसे विस्थापित करती है तब उसकी वन्द मुट्ठी मे उसके लिए निश्चित रूपमें कोई नई सम्पदा छिपी होती है और वह उस स्थितिसे भागनेके लिए आतुर न हो तो अनिवार्यतः उसका भागी हो सकता है ।