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प्रस्तुत पुतक में"..
आचार और विचार श्रुत देवता की दो आंखें हैं। दशवकालिक, आचारांग आदि बागम आचारप्रधान हैं, सूत्रकृतांग, भगवती आदि विचार-प्रधान ।
प्रस्तुत सूत्र जैन श्रमण के आचार का मुख्य ग्रन्थ है, अतः इसे मूल आगमों में गिना गया है।
अहिंसा, जीवदया, भिक्षाविधि, वाक्यप्रयोग, विनय-व्यवहार तथा सामान्य आचार का सुन्दरतम एवं उपयोगी विवेचन प्रस्तुत सूत्र 'दशवकालिक' का विषय है।
आचार की शिक्षा देने वाला यह 'गागर में सागर' रूपी आगम है ।
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मूल्य : पन्द्रह रुपये मात्र