SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०८ 0 धर्म के दशलक्षण अपना माथा कोई सड़ा नारियल नहीं जो चाहे जहाँ फोड़ दिया जाय । कहाँ झुकना और कहीं नहीं झुकना- इसका भी जिसको विवेक नहीं है वह सही जगह भूलकर भी लाभ नहीं उठा सकता। क्योंकि विवेकपूर्वक किया गया पाचरण ही सफल होता है। प्राचार्य ममन्तभद्र ने परीक्षा किए बिना प्राप्त को भी नमस्कार नहीं किया। जिसने अपने माथे की कीमत नहीं की, उसकी जगत में कौन कीमत करेगा? नमना, झंठी प्रशंसा करना प्राज व्यवहार बन गया है। मैं दूसरों की विनय या प्रशंसा करूंगा तो दूसरे मेरी विनय व प्रशंसा करेंगे- इस लोभ से नमने वालों एवं प्रशसा करने वालों की क्या कीमत है ? अरे भाई ! जगत से क्या प्रशंसा चाहना? भगवान की वाणी में जिसके लिए 'भव्य' शब्द भी आ गया वह धन्य है, इससे बड़ी प्रशंमा और क्या होगी? __ 'क्या कहा' - इसकी कीमत नहीं; 'किसने कहा' - इसकी कीमत है। भगवान ने यदि 'भव्य' कहा तो इससे महान अभिनन्दन और क्या होगा? भगवान की वागी में 'भव्य' पाया तो मोक्ष प्राप्त होने की गारंटी हो गई । पर इम मूर्ख जगत ने यदि भगवान भी कह दिया तो उमकी क्या कीमत ? स्वभाव से तो सभी भगवान हैं, पर जो पर्याय से भी वर्तमान में हमें भगवान कहता है, उसने हमें भगवान नहीं बनाया वरन् अपनी मूर्खता व्यक्त की है। विनय बहत ऊँची चीज है, उसे इतने नोचे स्तर पर नहीं लाना चाहिए । भाई साहब ! विनय नो वह तप है जिससे निर्जरा और मोक्ष होता है, वह क्या चापलूसी से हो सकता है ? नहीं, कदापि नहीं । यदि मात्र चरणों में झुकने और नमस्ते करने का नाम विनयतप होती तो फिर देवता इसके लिए क्यों तरसते, उन्हें किसी के सामने नमने में क्या दिक्कत थी? फिर शास्त्रकार यह क्यों कहते हैं कि उनके तप नही है ? __ मां-बाप के सामने झुकने का नाम तो विनयतप है ही नहीं, सच्चे देव-शास्त्र-गुरु के सामने झुकने का नाम भी निश्चय से विनयतप नहीं है - उपचारविनय है ।। विनयतप चार प्रकार का होता है : (१) ज्ञानविनय, (२) दर्शनविनय, (३) चारित्रविनय और (४) उपचारविनय ।
SR No.010808
Book TitleDharm ke Dash Lakshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1983
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy