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________________ ४ प्यार प्रकारे क्रोध ऊपजें. खेत्र निमित्ते क्रोध ऊपजें १, वस्त्र निमित्तें क्रोध कंप २, शरीर निमित्ते क्रोध ऊपजें ३, उपगरणरे निमित्ते क्रोध ऊपजें ४. ७३ ४ च्यार प्रकाररो क्रोध. याजोग क्रोध क्रोधरा फल जाणीने क्रोध करें १, अनाजोग क्रोध क्रोधरा फल न जाणें छाने क्रोध करें २, उपसम क्रोध ते, उदय विना उदय वाणीने क्रोध करें ३, अणुपसमक्रोध क्रोध उदयभाव व्यायाँको क्रोध करें ४. १४ ४ च्यार भाषा जिनकल्पी साधु बोलें. याचनारे वासते भाषा बोलें १, पूब्वारे पर्थे नापा बोलें २, याग्या पर्थे बोलें ३, यागले पूर्वीयेसुं बोलें ४. ४ च्या पमिमा समाधिपमिमा समताभाव राखे १, उपधानपमिमा तपस्या करें २, वि ७.५ १६ कपमा शरीर त्याग करें ३, विसग्गपमिमा काजस्सग्ग करें ४. ४ च्यार जातिरा घ्याचार्य. एक घ्याचार्य वियावच्च करें नहीं करावें पिए नहीं १, एक करावे पण करें नदी १, एक करें नहीं करावें पिए नदी ३, एक करें पिण करावें पिणे ४. 99 ४ च्यार जातिरा दस्ती. नंदजातिरो दस्ती कल्याणकारी तिको किसें गुणे करी जाणी
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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