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________________ मीजी खावें ४. ५ च्यार जातिनी गोचरी. एक गोचरी काष्टरी त्वचा समान सवादरहित थाहार ग्रहण करें तिको खावणो निरस अने तपस्या सार कर्म घणा तामें १, एक गोचरी गलसमान तेलेपरहित आहार नोगवे ते तपस्या काष्ट समान जाणवी अने थाहार तेज वमै समान जाणवो २ एक काष्ट समान गोचरी ते धार विगय खावे ते तप ब्वमै समान जाणवो ३, एक सीर समान गोचरी ते पांच विगय खावें नोगवे ते तप पतलें * अवमै समान जाणवो ४... ४ च्यार प्रकारनो विषय. देवता देवी से जोग जोगवें १, एक देवता तिर्यचणीसुं ष्यणीसुं नाग नोगवें , एक तिर्यंच मनुष्य देवीसु नोग नोग- ३, एक मनुष ति: यैच मनुष्यणी तिर्यंचणीसु नोग नोग- ४. ४ च्यार प्रकारें क्रोध नपजे. एक श्रात्मा नपरे क्रोध ऊपनें १, एक परमात्मा उपर क्रोध ऊपजें , एक आत्मा परमात्मा बहु नपरे क्रोध ऊपजें ३, एक विना कार्य मन परिणामनाहकसुं क्रोध ऊपर्जे ४.
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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