SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 355
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ | लग जाय तो उसरे दिन कमती रखें. सवेरेसुं सामतक, च्यार पोहरका पञ्चकाण.करें तथा रात्रिकी च्यार पोहरके पञ्चकाण देवगुरु धर्माचार्यकी थाझाले या गुरु पासे पचकाण करें रोज नेम रखणा गिणती तथा वजन मर्यादा उपरांतरों त्याग,जितने तक त्रण नवकार कही नहि पारु उतनी तकरा च्यार पोदर तथा श्रांठ पोहरका | त्याग संघटेरी जयणा पनहीरी समकरी चिरागरी स्त्रीके संगटेरी सचित्तरे संगटेरी याने संगटो होय जाय तो दोप नहि ॥ चितारना दिननरमें जोजो नोग जपतोगमें बांया हुवे उसको याद करना राख्या उससे कमती लागा सो निरजराखाते थजाणमें जास्ति लागा होयं उसका मन वचन कायाए करी मिलामि जुकम।। . ॥ पारनकी विधिः ॥ फासियं पालीयरी पारी गुण कर त्रण नवकार.गुण, खेना फेर नेम कर लेंणा याने धारणा ॥ ए चवदे नियम-कहे.. जो मर्यादा करें जा कष्टि रसाण या तो तिर्थकरगोत्र कर्म बांधे नरक तियेचनी गतिने बंध करें साख सूत्र यावश्यकनी इति ॥
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy