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________________ ॥अथ पैत्रीस बोल लिख्यते ॥ ३५ वाणीरा गुण पैत्रीस. समकितसहित वाणी बोलें १, उच्चै खरे बोलें १, सार वचन बोलें निरसो वचन काढें नहि ३, पंमताश्नो वचन नाखें ४, गंजीर में स्वरे बोलें | शब्द तुटे नहि ५, पमबंदी उठें वाणीरा च्यार कोस तांश् सांजलें ६, रागसहित बोलें , सूत्र थामो अर्थ घणा विस्तारसें ना, मर्यादामांहि रहे पूर्व वचनसें किरुक नहि ए, पदे पदनो अर्थ जुदोजुदो कहें १०, सांगलणदारनो संदेह टालें ११, अन्यतीर्थीना वचन दोष हरें ११, सुणतांने रीफावें पिण मन ज्जी जायगा न जावें १३, देशकालवाची शुध वचन कहें १४, अणमिलतो वचन न नाखें १५, जीवादि। क वस्तु प्रकाशतां मिलतो वचन कहें १६, पद पागलें पद जोश्ने अर्थ उपदशें || १७, वातरूप बालक समफे तिम समभावें १०, अति मधुरी मीठी वाणी बोलें. १ए, || प्रचुजी देशना देवें पिण मरम किणरो प्रकाशें नदि २०, थर्थ धर्मसहित वाणी प्र.* काशे २१, जीवादिक वस्तु प्रकाशतां विस्तार नारी करें २५, मध्य स्वनावें कहें था
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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