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नियाणावालो केवली प्ररूपित धर्मरो एक अक्षर षि सुवो पायें नही पांचमो देवतानो नियाणो करे देवता यापरी देवी जोगवें पारकी देवी जोगवें वैकिय करीने जोगवे इसो नियाणो करे ते जीव जन्मांतरे केवली प्ररूपित धर्म सांजले पण सरददे नही ए पांच नियाणावालो यागे जन्मांतरे दुर्लनबोधि दोवें अनंतो काल संसार मांहि रुले ए, बठे देवनवरे विषे व्यापणी वैक्रिय देवी जोगवे पिण पारकी नदी जोगवुं श्सो नियाणो करे ते केवली प्ररूपित धर्म जन्मांतरे सांनले पिण नेरा धर्म रुचि होवें जिन धर्मरी रुचि होवें नहीं ६, सातमें देवताना नवने विषे देवी जोगवुं पण पारको तथा वैक्रिय नही जोगवुं इसे निपाणे वालो जन्मांतरे धर्म सांजलें सर्ददे ए दर्शण श्रावक होवें पि पञ्चकाण उदय घ्यावे नही, मो श्रावकरो नियाणो करे तिको श्रावकरा व्रत पाले पञ्चकाण करे ते चोला पाले पिए संयम उदय घ्यावें नही छ, नवमे माधुपणारो नियाणो करे ते जाणे हुं दलिडी तु कुखने विषे उपजुं जिम संजमनी अंतराय नही पमे इसो नियाणा वालो संयम निर्मलो पाले पिए जणही नवे मोद न जावें. नियाणो तो