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तत्वार्थसूत्र जेनविभाग परिबेसमान होइ तिनिकै बंधनही होइ है। तोकोनकैवेधदो चूछे इहे मोमूत्र करे।। सूत्रहाधिकादिमुरगणानांतुश्दी एकपरमा में दोयगुणाअधिक होश एकमै दोयगुणघटती होय तिनकै बंध दोइ है। दोयगु. एसबिक एनाम होइ पिरेमा कास्की हो गुण स्निग्धरुक्षरित था तीनगुण स्निग्धरुतकाधारीपरमाणू कखिंध नही होई है। अभिच्यारिगुण: स्निग्धताकावारुक्षताका होइसोवधन प्राप्तहोश है। वऊरिदोयगुणधारप स्मारके पांचचदसातयकयादिसंख्यानअसंख्यात अनंतगुणकेधार कपरमाणुक रिबंधन ही होश । असनीनगुण स्निग्धस् तके पोचगुएस्मिग्ध करिषेधहोश-ओर किसीही संबंध नदीदोया स्निग्ध् परमाणू कै अन्य मिग्ध
स्त्रीबध हो। अररुक्ष करिनी होश आरक्ष परमाफ के श्रन्यरूक्षपर • करितथास्त्रिग्धपरमाणू करिवेध हो। परंतुनामै दोगुणा अधिक हो ||३||