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सूत्रम्
च्छति ) तत्थाइन्ना विची नो पन्नस्म निक्खमणपवेसाए नो पन्नस्स बायणपुच्छणपरियट्टणाणुप्पेहधम्माणुओगचिंआचा०
ताए, से एवं नच्चा तहप्पगारं पुरेसंखडि वा पच्छासंखडि वा संखडि संखडिपडिआए-नो अभिसंधारिजा गम
णाए ॥ से भिक्खू.वा० से जे पुण जाणिज्जा मंसाइयं वा. मच्छाइयं वा जाव हीरमाणं वा पेहाए अंतरा से ॥८९०॥ मग्गा अप्मा पाणा जाच संताणगा नो जत्थ बहवे समण जाव उवागमिस्संति अप्पाइन्ना वित्ती पन्नस्स निक्ख
॥८९०॥ मणपवेसाए; पन्नस्स वायणपुच्छणपरियट्टणाणुप्पेहधम्माणुओगचिंताए, सेवं नच्चा तहप्पगारं पुरेसंखड़ि वा० अभि
सरिज गमणाए ॥ (मू० २२) ते साधु कोइ गाम विगेरेमा भिक्षा माटे गयो होय, त्यां संखडि आवा प्रकारनी जाणेतो त्यां गोचरी जवु नहि, जेमां मांस विगेरे प्रधान छे. मांसना श्वादुओ माटे मुख्य तेज वस्तु होय, एटले प्रथम तेने वधारे रांधे. अथवा वोजी रसोइ पूरो थया पछी & ते तेना स्वादुओ माटे रांधे, त्यां कोइ सगो विगेरे तेवू अभक्ष्य भोजन घेर लइ जाय, तेवू देखीने त्यां साधु जाय नहि, तेना दोपो
हवे पछी कहेशे, तेज प्रमाणे माछलांथी वधारे प्रधान होय, तेज प्रमाणे मांसखल आश्रयी पण जाणवू. ज्यां संखडि माटे मांसा ४छेदीने तेने मुकावे, अथवा सुकवेलु, - ढगलो करेलु होय, तेज प्रमाणे माछलासंबंधी पण जाणवू, अथवा विवाह पछी वह घेर & आवतां वरना घरे भोजन थाय छे, अथवा बहुने लइ जतां सासरे भोजन थाय छे, हिंगोल, ते मरेलानु भोजन छे, अथवा यक्षनी
यात्रा विगेरे माटे भोजन छे, 'संमेल' ते परिवारना सन्माननु भोजन, अथवा गोठीयाओगें भोजन, आq कोइपण प्रकारनुं जमण जाणीने त्यां कोइ सगां-वहालांथी ते निमित्ते कंइपण लइ जवातुं देखीने त्यां भिक्षामाटे जवु नहि, त्यां जवाथी थता दोषोने वतावे |
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